Yashasvi Jaiswal की डबल सेंचुरी छूटी, शुभमन गिल के साथ गलतफहमी बनी वजह: दिल तोड़ देने वाला पल

Rashmi Kumari
7 Min Read

Yashasvi Jaiswal: कभी-कभी क्रिकेट में एक पल पूरे खेल की दिशा बदल देता है। मैदान पर सब कुछ परफेक्ट चल रहा हो, लेकिन एक गलत कदम, एक गलत कॉल या एक पल की झिझक और इतिहास बनने से पहले ही सपना अधूरा रह जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ दिल्ली में खेले गए भारत बनाम वेस्टइंडीज दूसरे टेस्ट मैच में, जब युवा बल्लेबाज़ यशस्वी जायसवाल अपनी शानदार बल्लेबाजी के बावजूद डबल सेंचुरी से महज़ कुछ रन दूर रह गए।

यह मैच भारत के लिए तो शानदार रहा, लेकिन जायसवाल के लिए यह एक भावनात्मक पल बन गया। जिस आत्मविश्वास और शांति के साथ उन्होंने अपनी पारी खेली, उसे देखकर हर किसी को लगा कि वह दोहरा शतक जरूर बनाएंगे। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक साधारण सी गलतफहमी ने उनके जीवन की सबसे खास पारी को बीच में रोक दिया।

पहले दिन का तूफानी प्रदर्शन जायसवाल का बल्ला बोला जोर से

यशस्वी जायसवाल का खेलना किसी कविता से कम नहीं था। पहले दिन उन्होंने अपने शॉट्स से ना केवल दर्शकों का दिल जीता बल्कि विपक्षी गेंदबाज़ों को भी असहाय कर दिया। हर कवर ड्राइव, हर पुल शॉट, हर डिफेंस में एक भरोसा झलक रहा था। पहले दिन के अंत तक वे 173 रन पर नाबाद थे और पूरे देश की निगाहें इस युवा बल्लेबाज़ पर टिकी थीं।

सोशल मीडिया पर फैंस, कमेंटेटर्स और दिग्गज खिलाड़ी सभी यही कह रहे थे “यह लड़का तो डबल सेंचुरी जरूर लगाएगा।” लेकिन सुबह जब दूसरा दिन शुरू हुआ, तो किसी ने नहीं सोचा था कि जायसवाल की पारी इतनी अचानक खत्म हो जाएगी।

वो एक रन जिसने सब कुछ बदल दिया

वेस्टइंडीज के गेंदबाज जेडन सील्स अपना नौवां ओवर डाल रहे थे। जायसवाल ने ओवर की दूसरी गेंद को बेहतरीन तरीके से ड्राइव किया और रन के लिए दौड़ पड़े। वे लगभग नॉन-स्ट्राइकर एंड तक पहुंच चुके थे, लेकिन तभी कप्तान शुभमन गिल ने हाथ से इशारा किया “रुको!”

बस वही पल निर्णायक साबित हुआ। जायसवाल ने पूरे जोश से दौड़ लगाई थी, लेकिन लौटते वक्त वे क्रीज तक नहीं पहुंच पाए। फील्डर ने बिजली जैसी फुर्ती से गेंद विकेटकीपर की ओर फेंकी, और विकेटकीपर ने बिना गलती के स्टंप उड़ा दिए।

मैदान पर सन्नाटा छा गया। कैमरे जायसवाल के चेहरे की ओर घूम गए, जहां एक हल्की मुस्कान के पीछे दर्द साफ़ झलक रहा था। शायद उन्होंने खुद को संभालने की कोशिश की, लेकिन यह रन आउट उनके लिए किसी झटके से कम नहीं था।

अगर उस वक्त शुभमन गिल खुद दौड़ जाते या थोड़ा तेज़ निर्णय लेते, तो शायद आज हम एक ऐतिहासिक डबल सेंचुरी का जश्न मना रहे होते। लेकिन क्रिकेट में ‘अगर’ और ‘शायद’ का कोई मतलब नहीं होता।

फैंस और क्रिकेट जगत की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर यह पल तेजी से वायरल हो गया। फैंस ने जायसवाल की तारीफ की, लेकिन साथ ही शुभमन गिल के फैसले पर सवाल भी उठाए। कई लोगों ने लिखा कि “यह डबल सेंचुरी की कीमत पर हुआ रन आउट था।” वहीं, कुछ लोगों ने कहा कि ऐसी गलतफहमियां खेल का हिस्सा हैं और गिल का कोई गलत इरादा नहीं था।

पूर्व क्रिकेटर और एक्सपर्ट्स ने भी जायसवाल की तारीफ की। उन्होंने कहा कि इतनी कम उम्र में इतनी परिपक्व पारी खेलना आसान नहीं है। यह रन आउट भले ही निराशाजनक था, लेकिन जायसवाल के खेल ने यह साबित कर दिया कि भारत के पास आने वाले समय में एक और महान बल्लेबाज़ तैयार है।

जायसवाल की बल्लेबाजी का जज़्बा: संघर्ष से शिखर तक

यशस्वी जायसवाल की कहानी हमेशा प्रेरणादायक रही है। एक छोटे शहर से निकलकर, अपने सपनों को जीने की इस यात्रा में उन्होंने जो संघर्ष किया है, वह हर युवा खिलाड़ी के लिए मिसाल है। मैदान पर उनका हर रन मेहनत, जुनून और लगन की पहचान है।

इस टेस्ट में उन्होंने न केवल रन बनाए, बल्कि यह भी दिखाया कि क्रिकेट सिर्फ स्कोर से नहीं, जज़्बे से खेला जाता है। डबल सेंचुरी भले ही उनसे छूट गई, लेकिन उन्होंने फैंस के दिलों में जो जगह बनाई है, वह किसी ट्रॉफी से कम नहीं।

क्रिकेट की खूबसूरती अधूरी पारी भी कहानी बन जाती है

Yashasvi Jaiswal की डबल सेंचुरी छूटी, शुभमन गिल के साथ गलतफहमी बनी वजह: दिल तोड़ देने वाला पल

कई बार क्रिकेट की खूबसूरती इसी में होती है कि यह हमें अधूरे सपनों की भी याद दिलाता है। जैसे सचिन तेंदुलकर का 194 पर आउट होना या विराट कोहली का नर्वस नाइन्टी। आज जायसवाल का यह रन आउट भी शायद उसी लिस्ट में शामिल हो जाएगा एक अधूरी लेकिन यादगार पारी के रूप में।

उनकी यह पारी आने वाले खिलाड़ियों के लिए सबक है कि कभी-कभी जिंदगी में सब कुछ प्लान के मुताबिक नहीं होता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप कमतर हैं। असली खिलाड़ी वही होता है जो गिरकर भी अगली पारी के लिए तैयार हो जाए।

यशस्वी जायसवाल की इस पारी ने न केवल भारतीय क्रिकेट फैंस का दिल जीता, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत का भविष्य बेहद उज्ज्वल है। डबल सेंचुरी छूट गई, लेकिन उनकी प्रतिभा, उनका आत्मविश्वास और खेल के प्रति समर्पण किसी डबल सेंचुरी से कम नहीं।

क्रिकेट सिर्फ रिकॉर्ड्स का खेल नहीं, भावनाओं का खेल है और जायसवाल की यह पारी उसी भावना की गवाही देती है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी और मनोरंजन के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारियाँ मीडिया रिपोर्ट्स और मैच कवरेज पर आधारित हैं। किसी भी खिलाड़ी या व्यक्ति के प्रति नकारात्मक टिप्पणी करने का उद्देश्य नहीं है।

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