ITR: हर साल की तरह इस बार भी करदाताओं और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के बीच आयकर रिटर्न (ITR) की तारीख को लेकर हलचल मची हुई है। लेकिन इस बार सरकार ने आखिरी समय पर सिर्फ एक दिन की डेडलाइन बढ़ोतरी की घोषणा की, जिसने आम लोगों और पेशेवरों दोनों में नाराजगी पैदा कर दी है। करदाताओं का कहना है कि यह कदम सिर्फ दिखावा है और डिजिटल पोर्टल की लगातार हो रही तकनीकी खामियों को नजरअंदाज करता है।
ITR भरने के लिए लाखों लोग समय पर तैयारी करते हैं। ऐसे में आखिरी समय पर केवल एक दिन की राहत कई लोगों को मायूस कर रही है। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने इसे “अपमानजनक” बताया और सवाल उठाया कि क्या सरकार वास्तव में करदाताओं की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है या सिर्फ टोकनिश्म कर रही है।
आखिरी समय की बढ़ोतरी से बढ़ी असंतोष की लहर

सरकार का यह कदम करदाताओं और पेशेवरों दोनों के लिए चुनौती बन गया है। कई लोग इस फैसले को “एक दिन का उपहार” कहकर कटाक्ष कर रहे हैं। डिजिटल पोर्टल पर बार-बार आने वाली तकनीकी समस्याएँ, लॉगिन क्रैश और फॉर्म भरने में दिक्कतें इस नाराजगी को और बढ़ा रही हैं।
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का कहना है कि समय पर सूचना न देना और केवल एक दिन की बढ़ोतरी करना पेशेवरों और आम करदाताओं के साथ अन्याय है। इस छोटे से समय में लाखों लोगों को अपने दस्तावेज़ सही करना, फॉर्म भरना और जमा करना लगभग असंभव हो गया है।
तकनीकी खामियों ने बढ़ाई परेशानी
डिजिटल इंडिया के इस युग में सरकार का यह कदम उम्मीदों के विपरीत साबित हुआ है। पोर्टल की तकनीकी खामियां और बार-बार आने वाले सर्वर डाउन जैसी समस्याएँ करदाताओं की मुश्किलों को और बढ़ा रही हैं। कई लोग दिनभर पोर्टल को एक्सेस करने की कोशिश में व्यस्त हैं और समय समाप्त होने से पहले फॉर्म भर पाने में नाकाम हैं।
इस मामले में CAs ने सरकार से स्पष्ट और समय पर घोषणा करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि केवल एक दिन की बढ़ोतरी करदाताओं और पेशेवरों के लिए पर्याप्त नहीं है। करदाता चाहते हैं कि सरकार ऐसे समय पर निर्णय ले जो वास्तविक रूप से मददगार हो और तकनीकी बाधाओं को ध्यान में रखे।
डिजिटल गवर्नेंस में जवाबदेही का सवाल
ITR की डेडलाइन में आखिरी समय की बढ़ोतरी ने डिजिटल गवर्नेंस पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। करदाता और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स दोनों ही पूछ रहे हैं कि क्या सरकार डिजिटल पोर्टल की स्थिरता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में सक्षम है।
यह छोटा कदम दिखाता है कि करदाताओं और पेशेवरों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। इसके अलावा, तकनीकी खामियों और पोर्टल की अपर्याप्त तैयारी ने भरोसे को कमजोर कर दिया है। लोगों का कहना है कि यदि डिजिटल गवर्नेंस में सुधार नहीं हुआ तो भविष्य में कर दाखिल करने की प्रक्रिया और भी जटिल और निराशाजनक हो जाएगी।
विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि केवल एक दिन की डेडलाइन बढ़ोतरी करदाताओं की वास्तविक मदद नहीं कर सकती। उन्हें उम्मीद है कि सरकार आगे से बेहतर योजना बनाएगी और तकनीकी बाधाओं को समय पर हल करेगी। वहीं करदाता और CAs चाहते हैं कि डेडलाइन बढ़ाने की प्रक्रिया पारदर्शी और समय पर हो ताकि सभी लोगों को पर्याप्त समय मिले।
इस समय यह स्पष्ट है कि करदाताओं की नाराजगी का केंद्र सिर्फ डेडलाइन की बढ़ोतरी नहीं है, बल्कि डिजिटल प्रक्रिया में अस्थिरता और जवाबदेही की कमी भी है। अगर सरकार ने समय पर उचित कदम नहीं उठाए तो करदाताओं और पेशेवरों में असंतोष और बढ़ सकता है।
एक दिन की ITR डेडलाइन बढ़ोतरी करदाताओं और पेशेवरों के लिए पर्याप्त नहीं है। तकनीकी खामियों और डिजिटल गवर्नेंस की जवाबदेही को सुधारना जरूरी है। यदि सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया तो भविष्य में करदाता और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की समस्याएं और बढ़ सकती हैं।
Disclaimer: यह लेख केवल सूचना और विश्लेषण के उद्देश्य से लिखा गया है। कर से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
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