RBI MPC Meeting October 2025: रेपो रेट 5.5% पर स्थिर, GDP ग्रोथ 6.8% तक बढ़ी

Rashmi Kumari
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RBI: अगर आप आर्थिक खबरों पर नजर रखते हैं तो आज का दिन आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अक्टूबर 2025 के मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) मीटिंग में रेपो रेट को 5.5% पर बनाए रखने का फैसला किया है। इस निर्णय की घोषणा RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की। वर्ष 2025 में अब तक रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट में कुल 1% या 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, जिससे आम आदमी की EMI कम हुई और कर्ज लेना आसान हुआ।

इस साल यह MPC की पहली बैठक थी, जो अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ्स लगाने के बाद हुई। इस कारण से वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और भारत-यूएस व्यापार सौदे में रुकावटों के बीच RBI का निर्णय खास महत्व रखता है।

RBI का GDP और आर्थिक दृष्टिकोण

RBI MPC Meeting October 2025: रेपो रेट 5.5% पर स्थिर, GDP ग्रोथ 6.8% तक बढ़ी

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने GDP ग्रोथ को लेकर सकारात्मक संकेत दिए। उन्होंने बताया कि भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान 6.8% तक बढ़ाया गया है। हालांकि, उन्होंने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण जोखिमों का भी जिक्र किया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकेत भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और निर्यात में संभावित चुनौतियों को दर्शाता है।

इस बैठक में यह भी स्पष्ट हुआ कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद RBI ने रेपो रेट को स्थिर रखा। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना था कि CPI (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) में स्थिरता देखते हुए MPC 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है, लेकिन आखिरकार यह निर्णय नहीं लिया गया।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारतीय रुपया

RBI गवर्नर ने भारतीय रुपया को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अधिक इस्तेमाल योग्य बनाने के तीन प्रमुख उपायों की घोषणा की। पहला, AD बैंक को अनुमति दी जाएगी कि वे भूटान, नेपाल और श्रीलंका में निवासियों को क्रॉस-बॉर्डर ट्रेडिंग के लिए रुपये में ऋण दें। दूसरा, भारत के प्रमुख व्यापारिक भागीदार देशों की मुद्राओं के लिए पारदर्शी रेफरेंस रेट्स स्थापित की जाएंगी, ताकि रुपये में लेनदेन सरल हो। तीसरा, SRVA बैलेंस को व्यापक रूप से निवेश योग्य बनाया जाएगा, ताकि इन्हें कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और कमर्शियल पेपर्स में लगाया जा सके।

इस पहल का उद्देश्य भारतीय रुपया को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में मजबूत करना और मुद्रा विनिमय की प्रक्रिया को सरल बनाना है। यह कदम भारतीय निर्यातकों और व्यापारियों के लिए सकारात्मक संकेत देता है।

आम जनता पर प्रभाव

रेपो रेट स्थिर रहने से आम लोगों पर कई तरह के असर पड़ेंगे। EMIs पहले जैसी ही रह सकती हैं, लेकिन पहले की तुलना में कर्ज लेना थोड़ा आसान हुआ है। साथ ही, ब्याज दरों में स्थिरता निवेशकों और उद्योगपतियों के लिए भरोसे का संकेत देती है।

वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में यह भी ध्यान देना जरूरी है कि वैश्विक व्यापार में बाधाओं और टैरिफ के प्रभाव से भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन RBI की नीति से संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।

बाजार की प्रतिक्रिया

RBI की नीति और GDP ग्रोथ के संकेतों के बाद शेयर बाजार में हलचल देखने को मिली। निवेशक और व्यापारी इस निर्णय को सकारात्मक मान रहे हैं, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था में स्थिरता और बढ़ती संभावना का संदेश देता है। साथ ही, रुपया अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अधिक स्वीकार्य बनने से विदेशी निवेश में बढ़ोतरी हो सकती है।

आगे की राह

RBI MPC Meeting October 2025: रेपो रेट 5.5% पर स्थिर, GDP ग्रोथ 6.8% तक बढ़ी

आने वाले महीनों में RBI की नीतियों और वैश्विक आर्थिक घटनाओं पर नजर रखना बेहद जरूरी होगा। निर्यात, मुद्रा विनिमय और घरेलू मांग पर इन नीतियों का सीधा प्रभाव पड़ेगा। निवेशक और आम जनता दोनों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे आर्थिक संकेतों को समझें और अपने वित्तीय फैसलों में सतर्क रहें।


डिस्क्लेमर: यह लेख उपलब्ध आधिकारिक जानकारी और RBI की वेबसाइट पर आधारित है। निवेश या आर्थिक फैसले करने से पहले सभी जानकारी को आधिकारिक स्रोत से जांचना आवश्यक है।

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